Thursday, February 27, 2020

एक झटका

हमें कब याद रखा जाएगा

तुम कहते हो
तो, सुन लेंगे
शब्द तुम्हारे
चुन लेंगे
नयनों में अपने
नमी बना कर
बाहों में तुम्हें हम
भर लेंगे
हम देंगे तुमको
नैतिक समर्थन
नारे भी तुम्हारे
गढ़ देंगे
हम तुममे से
हर एक को लाकर
कष्टों का तुम्हारे
विवरण देंगे
हम अपनी कुंठाओं से तुम्हारी
खाली झोली
भर देंगे
हम देंगे तुमको
मंच सलामत
तकरीरों को
शेयर कर देंगे
हम पार करेंगे
सात समंदर
दुनिया को तुम्हारा
स्वर देंगे
हम लफ़्ज़ों की तुम्हारे
ताबीर कर
फिरंगियों के मन में
भर देंगे

हम कर देंगे
वो हर कुछ जो
ना पैदारी को तुम्हारे
महफ़ूज करे
हर एक विचार जो
तुमको तुम्हारे
सबब-ए -अमन  से
दूर करे
बाजार-ए-ख़ौफ़ में
तुमको ला
लड़ने को तुम्हें
मजबूर करे
हम पैदा करेंगे
दुश्मन जो
जख्मों को तुम्हारे
नासूर करे
वो हौव्वा जो
ना होकर भी
दिन-रात तुम्हारे
चैन हरे
तुम संभलोगे कैसे
जब तुमको हम
हुंकारों से
भर देंगे
हम चिल्ला-चिल्ला कर तुम्हारे
आँगन की बगिया
चर लेंगे
हम नहीं रहेंगे पर लेकिन
जब होली खेला जाएगा
तुम खाओ गोली
भर -भर के
हमें कब याद रखा जाएगा !