हिमालय की गोद में
सामने दो पहाडीयां
अनंत के सौम्य पहरेदार
धौलागिरी के चमचमाते शिखर
की ओर द्वार सा बनाती हैं
और बगल में एक झरना
मानो शिव-पथ के उत्तुंग रक्षक
को जलार्पण कर रहा हो ।
शंख-नाद करती
नीचे उबल रही
गर्त सी मैली काली-गण्डकी
- बड़े आवेग से
असंख्य दूधिया धारों को लीलती
सर पटकती दौड़ रही है ।
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