एक व्यर्थ की चिंता
या, मन का दोष
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
तीनों की अर्थ-हीनता ।
अलंकारों के विच्छेद
से उत्पन्न होते
विरोधाभाषों को
मिलाता हुआ संधि का भेद ।
दूर, बहुत ही दूर
मचलती हुयी
एक किरण को
बनाता हुआ गूढ़
बहता नहीं
एक कवि का पसीना
कवि का तो बस
पिघलता हुआ ह्रदय-तुहिना
या, मन का दोष
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
तीनों की अर्थ-हीनता ।
अलंकारों के विच्छेद
से उत्पन्न होते
विरोधाभाषों को
मिलाता हुआ संधि का भेद ।
दूर, बहुत ही दूर
मचलती हुयी
एक किरण को
बनाता हुआ गूढ़
बहता नहीं
एक कवि का पसीना
कवि का तो बस
पिघलता हुआ ह्रदय-तुहिना
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