Tuesday, January 1, 2008

एक साल

क्या खूब गया
जो बीत गया
क्या साल रहा
एक जीवन में
एक दिशा मिली
एक दशा गया
नए सपनों का
निर्माण हुआ
कुछ जाने दुर्गम
पंथों पर
पैदल चलना
आसान हुआ ।
घरवाले डरे
शुभचिंतक बिगड़े
पर दिल अपनी ही
राह चला
निर्वासित जीवन
से उबकर
अपनों के
संग को
वो मचला।
दिल एक
नहीं था
ऐसे में
मन का भी
ऐसा ही
हाल हुआ
एक असफल विपस्सना
के पश्चात्
ज्ञान का यूँ
संचार हुआ
सब ढेर हुए
उसके अड़चन
नयी जागृति का
अहसास हुआ
जीवन की
गहमा-गहमी में
कर्तव्य-बोध का
भाष हुआ -
एक सुदूर गाँव की
गलियों और
घर में रौशन
चिराग हुआ
आजादी के
छः दशकों बाद
'तमकुहा' तम से
आजाद हुआ ।
क्या
खूब गया
जो बीत गया ...



* तमकुहा एक गाँव है जिसके निवासियों को अगस्त १५, २००७ को पहली बार बिजली नसीब हुई