Sunday, October 19, 2008

एक दृश्य

हिमालय की गोद में
सामने दो पहाडीयां
अनंत के सौम्य पहरेदार
धौलागिरी के चमचमाते शिखर
की ओर द्वार सा बनाती हैं
और बगल में एक झरना
मानो शिव-पथ के उत्तुंग रक्षक
को जलार्पण कर रहा हो ।
शंख-नाद करती
नीचे उबल रही
गर्त सी मैली काली-गण्डकी
- बड़े आवेग से
असंख्य दूधिया धारों को लीलती
सर पटकती दौड़ रही है ।