Thursday, February 7, 2008

एक विकराल घड़ी

टेलीविजन पर
नयी खबर चली है
एक विकराल घडी
नजदीक खड़ी है
ग्रह-गोचर
स्पष्ट कहता है
ख़तरे में पड़ी
सूरज की सत्ता है
कुम्भ के घर में
ज्योंही पहुचेगा
घर को उसके
शनि धर लेगा
राहू देगा
शनि का साथ
बिगाडेगा हर एक
बनी हुयी बात
ज्यों ज्यों समय
बढ़ता जाएगा
सूरज को छेड़ने
केतु जाएगा
शुक्र का मिलेगा
उसको साथ
मिलकर सब करेंगे
सत्यानाश
कुम्भ के जातक
जान ले यह अब
उनका अतिथि
बहुत है गड़बड़
लाना था
सुख तेज समृद्धि
ले आया
कष्टों मे वृद्धि
देख के उसकी
पीडा न्यारी
भयभीत हो गए हैं
नर और नारी
संगम पर मिलकर
कई बैठे हैं
ग्रहों की तुष्टि को
हवन हो रहे हैं
कहते हैं कि
घर टूटेंगे
देश विदेश में
सर फूटेंगे
प्रकृति करेगी
तांडव नृत्य
शेयेरों का होगा
टायँ-टायँ फिस्स
खबर पढ़ने-वाली ने
विश्वास से कहा था
एक सौ तीस साल पहले
ऐसा ही हुआ था
बताने ही जाती
वह कहानी सारी
कि आ जाती
ब्रेक की बारी
हुआ ऐसा
दो चार बार
और टूट गए अपने
संयम के तार
बढ़ा दिया
चैनल को आगे
सोचा जान लेंगे
इंटरनेट पर जाके
अब खोजते खोजते
आ गया है चक्कर
मिलता नही कुछ
किसी वेबसाइट पर
कुम्भ राशी का
जातक मैं भी
बैठा हूँ अब
थोडा सा डरकर
कोई कहीं से यह बता दे
हुआ क्या था
साल अठ्ठारह सौ अठहत्तर ।